दिसंबर के दूसरे सप्ताह में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। वर्ष 2021 में न्यास के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति हुई थी। कार्यकाल पूर्ण होने के बाद धमार्थ कार्य विभाग चयन प्रक्रिया शुरू करेगा। 

Shri Kashi Vishwanath Temple tenure of Trust will end in second week of December

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास का कार्यकाल दिसंबर के दूसरे सप्ताह में समाप्त हो रहा है। न्यास का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही नए अध्यक्ष व सदस्यों के चयन की प्रक्रिया आरंभ धर्मार्थ कार्य विभाग शुरू करेगा। संभावना जताई जा रही है कि न्यास के सदस्यों को दोबारा गठित होने वाले न्यास में मौका मिल सकता है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष पद पर प्रो. नागेंद्र पांडेय को नौ दिसंबर 2021 को नियुक्त किया गया था। दो साल के बाद रिक्त अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हुई थी। सदस्यों में पं. दीपक मालवीय, पं. प्रसाद दीक्षित, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय और प्रो. के. वेंकटरमण घनपाठी शामिल हैं। अधिसूचना जारी होने की तारीख से न्यास परिषद के सदस्य पर तीन सालों के लिए नामांकन अधिसूचित किया गया था। इसके पूर्व 2019 से नवंबर 2021 तक न्यास परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों का पद खाली थी। विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में यह पहला मौका था जब जब दो साल बाद न्यास परिषद के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति हुई थी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि दिसंबर में न्यास परिषद का कार्यकाल पूर्ण हो रहा है। कार्यकाल पूर्ण होने के बाद चयन प्रक्रिया आरंभ होगी।

अधिग्रहण के बाद बनाया गया न्यास परिषद

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का प्रदेश सरकार ने 1983 में अधिग्रहण किया था। इसके बाद दो इकाइयों का गठन किया गया। इसमें पूजन-परंपरा की निगरानी समेत निर्णय लेने के लिए विधायी संस्था के तौर पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद बनाया गया। इसमें शृंगेरी शंकराचार्य व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ ही वित्त, कानून एवं विधि परामर्शी, धर्मार्थ, संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और सीईओ को मानद सदस्य बनाया गया। साथ ही पांच विद्वानों को बतौर सदस्य तीन-तीन वर्ष के लिए नामित करने का प्रावधान किया गया।

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