भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना के लिए नरेंद्रनगर से निकली गाड़ू घड़ा कलश यात्रा रविवार को श्रीनगर, रुद्रप्रयाग से होते हुए कर्णप्रयाग पहुंची। कर्णप्रयाग पहुंचने पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा के साथ यात्रा का स्वागत किया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार और परंपराओं के अनुरूप तेल कलश को गांव के श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर में स्थापित किया गया। अब दस दिनों तक श्रीलक्ष्मी नारायण के साथ ही तेल कलश की पूजा-अर्चना यहीं होगी।  रविवार देर शाम करीब नौ बजे तेल कलश यात्रा डिम्मर गांव के चौंरी में पहुंची। यहां ग्रामीणों ने भगवान बदरीविशाल के जयकारों के साथ गाड़ू घड़ा कलश यात्रा का स्वागत किया। इसके बाद कलश विधि विधान से श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर में स्थापित किया गया। केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि सात मई तक तेल कलश की पूजा यहीं की जाएगी। आठ मई को तेल कलश यात्रा बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि विश्राम के लिए पाखी पहुंचेगी। जबकि 9 मई को जोशीमठ, दस को पांडुकेश्वर, 11 को बदरीनाथ पहुंचेगा और 12 मई सुबह गर्भगृह में प्रवेश करेगा।

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