232 साल के इतिहास में पहली बार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियमित हवन की शुरुआत होगी। जल्द ही विरान पड़े हवन कुंड से एक बार फिर से परंपरा जीवंत होगी। रोजाना यहां तीन घंटे यज्ञ के अनुष्ठान पूर्ण होंगे।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वीरान पड़े हवन कुंड से जल्द ही वेद व यज्ञ परंपरा जीवंत होगी। 232 साल के इतिहास में पहली बार 365 दिन चारों वेदों के मंत्रों से यज्ञ कुंड में आहुतियां अर्पित की जाएंगी। वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा और विश्वकल्याण के भाव से रोजाना तीन घंटे यज्ञ के अनुष्ठान पूर्ण होंगे।