मेला श्रीदाऊजी महाराज के प्राकट्य से जुड़ा है। यह मेला मार्गशीर्ष पूर्णिमा से शुरू होता है। इसी दिन 443 वर्ष पूर्व बलदेवजी, रेवती मैया का प्राकट्य मार्गशीर्ष शुक्ल 15 संवत 1638, सन 1582 में हुआ था।

मथुरा के बलदेव में श्री दाऊजी महाराज का 443वां प्राकट्योत्सव 26 दिसंबर यानि आज धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह से शाम तक विभिन्न आयोजन होंगे। श्रीदाऊजी महाराज को विशेष रजाई धारण कराई जाएगी। रजाई गददल धारण कर दाऊजी भक्तों को सर्दी से बचाव का संदेश देते हैं। सुबह शहनाई वादन के साथ बलभद्र सहस्त्रनाम पाठ और हवन यज्ञ होगा। पंचामृत में केसर मिलाकर स्नान अभिषेक के साथ गर्म वस्त्र धारण होंगे । रजाई गददल धरण होगी। इसलिए इसे गददल पूर्णिमा कहते हैं। दोपहर में मेवा युक्त खीर और रात को गर्म मेवा युक्त दूध का भोग लगेगा। सर्दी में मेवा काजू, पिस्ता, केसर की मात्रा बढ़ा दी जाएगी।