पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में लिया गया एक फैसला सरकार ने रद्द कर दिया है। कार्बेट में गैंडे लाने का जो फैसला था, वह इस बोर्ड बैठक में विलोपित कर दिया गया है। गैंडे लाने से एक ओर जहां आर्थिक बोझ बढ़ता तो दूसरी ओर मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती भी बढ़ जाती।

आर्थिक बोझ और जनसुरक्षा के चलते कार्बेट टाइगर रिजर्व में अब असम से 10 गैंडे नहीं आएंगे। सरकार ने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में लिया गया यह अहम फैसला रद्द कर दिया है। हाल ही में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में 2019 में बोर्ड की 14वीं बैठक में गैंडे लाने के फैसले को रद कर दिया गया।
इसके पीछे कई कारण गिनाए गए हैं। फिलहाल कार्बेट पार्क में गैंडे लाने की कोई योजना अस्तित्व में नहीं रह गई है। यह बात अलग है कि 14वीं बोर्ड बैठक में जो तथ्य गैंडे के पक्ष में बताए गए थे, वहीं अब विपक्ष में बताते हुए सरकार ने इसे खत्म किया है।
इस वजह से खत्म की गई योजना
आर्थिक कारण : शुरू में दस गैंडे लाकर उन्हें रखने के लिए सालाना करीब चार करोड़ की राशि खर्च होगी। इन गैंडों की हिफाजत को विशेष फोर्स गठित करनी होगी, जिसका खर्च अलग बढ़ जाएगा। लिहाजा, इस आधार पर प्रस्ताव को खत्म किया गया।