विधानसभा चुनाव में दो दशक के बाद सत्ता परिवर्तन का मिथक टूटा है। वहीं, इस बार विधानसभा के इतिहास में पिछले चार चुनाव से चली आ रही एक और परंपरा टूट गई। पांचवीं विधानसभा में मुख्यमंत्री व कैबिनेट से पहले निर्वाचित विधायक पद की शपथ ली। अभी तक यह परंपरा रही कि मुख्यमंत्री पहले शपथ लेते थे, जिसके बाद ही विधायकों को शपथ दिलाई जाती थी।विधायक दल का नेता चुनने के लिए आज होने वाली भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री को लेकर कयासबाजी का दौर भी खत्म हो जाएगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय हो चुका है। इसका एलान विधायक मंडल दल की औपचारिक बैठक में होगा। बता दें कि जब भी विधानसभा चुनाव होते हैं, नई सरकार के गठन के लिए बहुमत हासिल करने वाली पार्टी विधायक मंडल की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री तय करती है।

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