काशी के मीरघाट स्थित मंदिर में इस दिव्य-भव्य आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। दक्षिण भारत के वैदिक विद्वान 25 नवंबर को काशी पहुंच जाएंगे। उनका भी पारंपरिक तरीके से स्वागत किया जाएगा।

Mata Vishalakshi Kumbhabhishekam to take place on December 1st after 12 years 50 scholars to perform puja

51 शक्तिपीठों में एक काशी में स्थापित माता विशालाक्षी मंदिर का 10वें कुंभाभिषेक की तिथि घोषित कर दी गई है। 12 साल बाद एक दिसंबर को कुंभाभिषेक होगा। 28 नवंबर से ही अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। दक्षिण भारतीय व काशी के 50 वैदिक विद्वान संपूर्ण अनुष्ठान करवाएंगे। वहीं, मंदिर में रंग-रोगन शुरू हो गया है।

श्रीकाशी नाटकोटि नगर क्षेत्रम् से संचालित मीरघाट स्थित विशालाक्षी मंदिर 1893 बनी है। इस मंदिर का कुंभाभिषेक 2013 में हुआ था। मंदिर में दो और शक्तिपीठ की देवियों की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। नाटकोटि के उपाध्यक्ष पीएलएम मुतइया ने बताया कि कुंभाभिषेक की तिथि तय कर दी गई है। 

तैयारियां तेज

कुंभाभिषेक की विशेष पूजा एक दिसंबर को होगी। जबकि 28 नवंबर यज्ञ व पूजा शुरू हो जाएगी। दक्षिण भारत के वैदिक विद्वान 25 नवंबर को काशी पहुंच जाएंगे। बताया कि मंदिर में सितंबर के दूसरे सप्ताह से ही कुंभाभिषेक को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। मंदिर में सफाई चुकी है। अब रंग-रोगन चल रहा है। नवग्रह क्षेत्र में पूरा हो चुका है। 

परिक्रमा पथ पर रंग-रोगन हो रहा है। अभी पत्थरों व मंदिर में जगह-जगी छोटी-छोटी टूटी मूर्तियों के पत्थरों और दीवारों की मरम्मत होगी। बताया कि मंदिर पर पांच कलश कापर और शिखर कलश सोने का लगाए जाएंगे। चेटीनाडु शैली में बनी मंदिर को दक्षिणा के 40 से अधिक कारीगर मंदिर की कलाकृतियों को और निखारने में लगे हैं।

कांची कामाक्षी व मदुरई देवी की भी लगेगी प्रतिमा
पहली बार दक्षिण भारत की दो और शक्तिपीठ कांची कामाक्षी और मदुरई मीनाक्षी देवी की प्रतिमा माता विशालाक्षी मंदिर में लगाई जाएगी। पीएलएम मुतइया ने बताया कि दोनों शक्तिपीठों की देवियों की प्रतिमाओं के अलावा गणेश और कार्तिक जी की भी प्रतिमा लगेगी।

दक्षिण भारतीय की होती है काफी भीड़
माता विशालाक्षी मंदिर में दर्शन पूजन के लिए खासकर दक्षिण भारतीयों की काफी भीड़ होती है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पास में स्थित होने से इस शक्तिपीठ में काफी भक्त पहुंचते हैं। सौभाग्य, वैवाहिक सुख और सुख-समृद्धि की कामना के लिए भक्त यहां आते हैं।

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