महाकालेश्वर मंदिर महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भक्तों का मानना है कि महाकाल के दर्शन से आध्यात्मिक शुद्धि होती है। वहीं, महाकालेश्वर मंदिर अपनी भस्म आरती के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। इस आरती में भगवान के विग्रह पर पवित्र भस्म लगाई जाती है। इस मंदिर में भस्म आरती आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से की जा रही है। भस्म आरती इस मंदिर में होने वाली एक खास तरह की पूजा है, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बहुत आकर्षित करती है। लोग दूर-दूर से इस भस्म आरती को देखने और इसमें हिस्सा लेने के लिए आते हैं। भक्तों की महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि महाकाल बाबा का शृंगार या आरती श्मशान से आने वाली भस्म से होती है।

दरअसल धार्मिक मामलों के जानकारों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां आप समय से परे चले जाएंगे। जब आप यहां जाएंगे तो आपको ऐसा लगेगा कि आप बस इस जगह की धुन पर नाच रहे हैं। खास बात ये है कि महादेव के सिर्फ इसी ज्योतिर्लिंग में भस्म आरती होती है, जो श्मशान की राख से बनाई जाती थी। अब बदलते समय के अनुसार इसमें भी बदलाव हुआ है। अब महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल के शृंगार की भस्म चंदन और गाय के गोबर द्वारा तैयार की जाती है।

कुछ किंवदंतियों के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि बहुत साल पहले महाकालेश्वर मंदिर की आरती में जो भस्म इस्तेमाल होती थी, वह श्मशान घाट से लाई जाती थी। अब मंदिर के पुजारी भी इस बात को खारिज करते हैं कि मंदिर की आरती में प्रयोग की जाने वाली भस्म श्मशान घाट से लाई जाती है। बल्कि महाकाल पर चढ़ने वाली पवित्र भस्म कपिला गाय के गोबर से बने कंडों, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलताश और बेर के वृक्ष की लकड़ियों को एक साथ जलाकर तैयार की जाती है।

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