जिला प्रशासन ने कहा कि मंदिर की परंपराओं और पूजा-पद्धति में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा।कॉरिडोर का उद्देश्य केवल श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देना है।

मथुरा के वृंदावन में प्रस्तावित श्रीबांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर और मंदिर न्यास को लेकर उठ रही आशंकाओं पर जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने सोमवार को स्थिति स्पष्ट की। अधिकारियों ने कहा कि सेवायत गोस्वामीजनों की सेवा-पूजा, दान-दक्षिणा और धार्मिक परंपराओं में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
यह भरोसा जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह और ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने ब्रज वृंदावन देवालय समिति के पदाधिकारियों को परिषद के सभागार में आयोजित बैठक के दौरान दिया। डीएम ने बताया कि बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर का निर्माण उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार किया जा रहा है और इसके तहत एक मंदिर न्यास का गठन भी किया गया है।
उन्होंने कहा कि कॉरिडोर का उद्देश्य केवल श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देना है, न कि सेवायतों के अधिकारों को सीमित करना। मंदिर की परंपराओं और पूजा-पद्धति में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा। उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने भी साफ किया कि दान-दक्षिणा और धार्मिक परंपराओं की व्यवस्था जस की तस बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर निर्माण के दौरान मंदिर की संरचना और गरिमा से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी।
बैठक में ब्रज वृंदावन देवालय समिति के अध्यक्ष आलोक गोस्वामी ने कहा कि सेवायतों के मन में कुछ शंकाएं थीं जिनका संतोषजनक समाधान प्रशासन और परिषद ने कर दिया है। आलोक गोस्वामी ने मांग की कि कॉरिडोर निर्माण में हरियाली का विशेष ध्यान रखा जाए और सेवायतों की पूजा-सेवा परंपरा को अक्षुण्ण रखा जाए। ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह, मंदिरों से जुड़े कांतानाथ चतुर्वेदी, गोविंद पांडेय समेत अनेक सेवायत और अधिकारी उपस्थित रहे।