प्रदेश में प्राकृतिक मौत के बाद आपसी संघर्ष और दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा हाथी मारे गए हैं। 74 हाथी विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे गए। मानव के लिए खतरनाक साबित घोषित होने पर एक हाथी की मौत हुई तो 71 मामलों में हाथी की मौत का पता नहीं चल पाया।

प्रदेश में हाथियों की सबसे अधिक मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। इस दौरान वर्ष 2001 से लेकर अब तक कुल 174 हाथी प्राकृतिक मौत मरे। वहीं, आपसी संघर्ष में 86 हाथी मारे गए। जबकि विभिन्न दुर्घटनाओं में 74 हाथी मारे गए। इसके अलावा करंट लगने से 43, जहर खाने से एक हाथी की मौत हुई।
नौ हाथी पोचिंग में मारे गए तो 22 की ट्रेन से कटकर मौत हुई। मानव के लिए खतरनाक साबित घोषित होने पर एक हाथी की मौत हुई तो 71 मामलों में हाथी की मौत का पता नहीं चल पाया। इस तरह से बीते 22 सालों में अब तक कुल 481 हाथी मौत का ग्रास बने।
प्रदेश में 2026 हाथी, लिंगानुपात में सुधार
जहां देश में हाथियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, वहीं उत्तराखंड में इनकी संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2020 की हाथी गणना के अनुसार, राज्य में कुल 2026 हाथियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। वयस्क नर और मादा हाथी का लैंगिक अनुपात 1:2.50 पाया गया है, जो एशियन हाथियों की आबादी में बेहतर माना जाता है।