बाबा बटुक भैरव का सुबह 51 किलो बेले के फूलों से सात्विक शृंगार हुआ। वहीं शाम को राजसी और रात्रि में तामसिक शृंगार हुआ। वहीं सवा क्विंटल हवन सामग्री से हवन हुआ। इस दौरान हवा में नौ फीट ऊपर तक लपटें उठीं।

भगवान शिव के बालस्वरूप बाबा बटुक भैरव का रविवार को त्रिगुणात्मक शृंगार हुआ। 51 किलो बेले के फूलों से सात्विक, 51 किलो मिश्रित फूलों से राजसी और 56 भोग की सामग्री से तामसिक शृंगार हुआ। तामसिक शृंगार के दौरान श्रद्धालुओं ने वर्ष में एक बार बाबा बटुक भैरव के वास्तविक स्वरूप के दर्शन किए। रविवार को कमच्छा स्थित मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों के साथ ही रोशनी से सजाया गया। सुबह चार बजे बाबा का पंचामृत स्नान करने के बाद सात्विक शृंगार किया गया। इसके बाद सात्विक विधि से पूजन के बाद सुबह की आरती हुई। शाम चार बजे कोलकाता से मंगाए गए फूलों व राजसी वस्त्र धारण कराकर राजसी शृंगार हुआ। इसके बाद बाबा को 56 भोग अर्पित किया गया। शाम सात बजे महंत जितेंद्र मोहन पुरी के सानिध्य में लोककल्याण के लिए रुद्र बटुक महायज्ञ हुआ। वर्ष में एक बार महायज्ञ के लिए हवन कुंड को छह फीट नीचे तक खोला गया। इसमें साकला, मेवा, धान का लावा, बताशा और जड़ी-बूटियों के साथ ही देशी घी से आहुतियां अर्पित की गईं और पूरा छह फीट का हवन कुंड हवन सामग्री से भर गया।
हवा में हवन की अग्नि नौ फीट ऊपर तक निकल रही थीं। रात आठ से नौ बजे तक बाबा की विशेष आरती उतारी गई। रात 10 बजे बाबा का तामसिक शृंगार कर तामसी भोग अर्पण किया गया। चक्रासन पूजन हुआ। इस दौरान महंत दीपक पुरी, महंत भास्कर पुरी और महंत राकेश पुरी मौजूद थे।