पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि 22 दिसंबर 2023 को प्रातः 08:16 पर शुरू होगी और समापन 23 दिसंबर 2023 को सुबह 07:11 मिनट पर होगा। इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत बहुत ही पवित्र, शांतिदायक और पापनाशक माना गया है। मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि 22 दिसंबर 2023 को प्रातः 08:16 पर शुरू होगी और समापन 23 दिसंबर 2023 को सुबह 07:11 मिनट पर होगा। इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री नारायण के निमित्त व्रत रखना, विधि-विधान से पूजा करना, पवित्र नदी में स्नान करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पितरों को मोक्ष मिलता है। इसलिए इसे पुण्यदायिनी और मोक्षदायिनी एकादशी माना गया है
खास है यह एकादशी
द्वापर युग में योगेश्वर श्री कृष्ण ने इस दिन अर्जुन को मनुष्य का जीवन सार्थक बनाने वाली गीता का उपदेश दिया था। गीता जैसे महान ग्रंथ का प्रादुर्भाव होने के कारण इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गीता का ज्ञान हमें दुःख, क्रोध, लोभ व अज्ञानता के दलदल से बाहर निकालने के लिए प्रेरित करता है। सत्य,दया,प्रेमऔर सत्कर्म को अपने जीवन में धारण करने वाला प्राणी ही मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।
व्रत करने के लाभ
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- धर्म-शास्त्रों के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पूर्वजों को उनके कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है, व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।
- भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत के प्रभाव से प्राणी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
- इस दिन श्रीमदभगवत गीता की सुगंधित फूलों से पूजा कर,गीता का पाठ करना चाहिए। गीता पाठ करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होकर उसे धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा
पदमपुराण में वर्णित इस एकादशी की कथा के अनुसार पूर्व काल की बात है, वैष्णवों से विभूषित परम रमणीय चंपक नगर में वैखानस नाम के राजा रहते थे।वे अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन करते थे। एक रात राजा ने सपने में अपने पितरों को नीच योनियों में पड़ा देखा, जो उनसे उन्हें नरक से मुक्ति दिलाने को कह रहे थे।उन सबको इस अवस्था में देखकर राजा के मन में बड़ा विस्मय हुआ और प्रातः काल ब्राह्मणों को उन्होंने उस स्वप्न के बारे में बताया।ब्राह्मणों के कहने पर राजा पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर उनसे मिले। मुनि की आज्ञा से राजा ने अपने पितरों की मुक्ति के उद्देश्य से मोक्षदा एकादशी का विधि-विधान से व्रत किया एवं व्रत का पुण्य अपने समस्त पितरों को प्रदान किया। पुण्य देते ही क्षण भर में आकाश से फूलों की बर्षा होने लगी।वैखानस के पिता पितरों सहित नरक से छुटकारा पा गए और आकाश में आकर राजा के प्रति यह पवित्र वचन बोले-‘ बेटा!तुम्हारा कल्याण हो।’ये कहकर वे स्वर्ग में चले गए।