हाईवे बंद होने से टनकपुर की तरफ आ रहे करीब 30 से ज्यादा वाहन रास्ते में ही फंस गए हैं। एसडीएम अनिल चन्याल ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। जिला अधिकारी नरेंद्र भंडारी ने टीम को हाईवे शीघ्र खोलने के निर्देश दिए हैं।
मूसलाधार बारिश से शुक्रवार को कुमाऊं मंडल में जनजीवन अस्तव्यस्त रहा। भूस्खलन और मलबा गिरने से मंडल में 17 सड़कें बंद हो गईं। इससे यातायात प्रभावित रहा। चंपावत जिले के बाराकोट के नौमाना में पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से युवक की मौत हो गई।
तीन जगह मलबा आने से टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया। इस मार्ग पर 30 से अधिक वाहन फंसे हैं। पहाड़ी से लगातार मलबा आने से काम पर असर पड़ा रहा है। मलघाट नामक स्थान पर चट्टान टूटने से शुक्रवार को चीन सीमा को जोड़ने वाली तवाघाट-घट्टाबगड़ सड़क भी बंद हो गई। सड़क पर मलबा और पत्थर आने से लगभग साढ़े तीन घंटे तक यहां यातायात ठप रहा।
चंपावत के बाराकोट के नौमाना में पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से महेश चंद्र जोशी (38) की मौत हो गई। वह गौरा महोत्सव में शामिल होने जा रहा था। नैनीताल-भवाली रोड पर मलबा आने से आधे घंटे तक यातायात बाधित रहा।
बागेश्वर और अल्मोड़ा जिले में एक-एक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। हल्द्वानी सुबह से देर शाम तक लगातार बारिश हुई। इससे सड़कों पर जलभराव हो गया। चंपावत में छह, बागेश्वर में दो, पिथौरागढ़ में छह और नैनीताल में तीन सड़कें बंद हैं।
दो दन बाद खुला यमुनोत्री हाईवे फिर हुआ बंद
यमुनोत्री हाईवे धरासू के पास भूस्खलन से फिर बंद हो गया है। हाईवे को दो दिन बाद साढ़े तीन बजे एनएच व रानी कंस्ट्रक्शन कंपनी की टीम ने कड़ी मशक्कत कर खोला गया था। बीते बुधवार को धरासू के पहाड़ी दरकने से हुए भारी भूस्खलन के चलते यमुनोत्री व गंगोत्री हाईवे बंद हो गए थे। बृहस्पतिवार को गंगोत्री हाईवे को खोल दिया गया। लेकिन यमुनोत्री हाईवे से मलबा व बोल्डर हटाने के लिए गंगोत्री हाईवे पर दो-दो घंटे के लिए आवाजाही बंद की जा रही थी। शुक्रवार करीब साढ़े तीन बजे यमुनोत्री हाईवे से मलबा हटाकर आवाजाही सुचारु कर दी गई थी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि यमुनोत्री हाईवे सहित 10 ग्रामीण मोटर मार्ग भूस्खलन के कारण बाधित हैं।
चरेख-धरगांव सड़क पर जोखिम उठा आवाजाही कर रहे ग्रामीण
दुगड्डा ब्लॉक की चरेख-धरगांव सड़क बरसात से खस्ताहाल है। कलवट क्षतिग्रस्त होने के साथ ही सड़क में गहरे गड्ढे पड़ चुके हैं। पहाड़ी से गिरा मलबा भी नहीं हटाया गया। छह गांवों के लोग जान जोखिम में डाल आवाजाही करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत के बावजूद लोनिवि दुगड्डा मार्ग की सुध नहीं ले रहा है।
वर्ष 2006 में पाली, कफल्डी, कूरीखाल, सिमलखेत, धरगांव, सौंटियालधार, गहड़ आदि गांवों के लोगों की मांग पर शासन ने 5 किमी चरेख-धरगांव सड़क निर्माण को मंजूरी दी। वर्ष 2010-11 में कार्यदायी संस्था लोनिवि दुगड्डा ने रोड कटिंग का कार्य शुरू किया। ग्रामीण सबीर अहमद, प्रीतम सिंह, मुकेश सिंह, अब्दुल अली, शकील, कासिम, दिनेश का आरोप है कि कई जगहों पर पेड़ होने के कारण सिंगल कटिंग की गई, जिसमें उक्त स्थानों पर मार्ग की चौड़ाई तीन मीटर से भी कम है। स्वीकृति के 17 साल बाद भी मार्ग अधूरा पड़ा है।
वर्ष 2015 में धरगांव से गहड़ तक सड़क विस्तारीकरण की स्वीकृति प्रदान की गई। वर्ष 2016 में कार्यदायी संस्था की ओर से सर्वे किया गया, लेकिन अभी तक रोड कटिंग नहीं की गई।
ग्रामीणों ने क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत कराने और गहड़ गांव तक सड़क का विस्तारीकरण करने की मांग की है।
बरसात से क्षतिग्रस्त सड़क की जल्द मरम्मत कराई जाएगी। सड़क के डामरीकरण और गहड़ गांव तक सड़क विस्तारीकरण का प्रस्ताव शासन में लंबित है। बजट स्वीकृत होते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।