इन प्रस्तावों में कुटुंब प्रबोधन, धर्मांतरण पर तत्काल रोक लगाने के लिए कठोर कानून बनाने, समान नागरिकता संहिता कानून लागू करने और देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने की मांग की गई।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के दो दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन दो सत्रों का आयोजन किया गया। अधिवेशन में देश के शीर्ष संतों और धर्माचार्यों ने देश की वर्तमान परिस्थितियों पर मंथन करने के बाद सर्वसम्मति से चार विषयों को महत्वपूर्ण मानते हुए प्रस्ताव पारित किए।
इन प्रस्तावों में कुटुंब प्रबोधन, धर्मांतरण पर तत्काल रोक लगाने के लिए कठोर कानून बनाने, समान नागरिकता संहिता कानून लागू करने और देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने की मांग की गई। अधिवेशन में संतों ने हिंदुओं की जनसंख्या को बढ़ाने को लेकर भी चर्चा की। हिंदुओं से दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने का आह्वान किया गया।
उत्तरी हरिद्वार के भूपतवाला स्थित निष्काम धाम सेवा ट्रस्ट में रविवार को अधिवेशन के आखिरी सत्र के बाद विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री मिलिंद परांडे ने बताया कि दो दिन की बैठक में देशभर से आए संतों के साथ हुए मंथन के बाद चार प्रस्ताव पारित किए गए हैं। इनमें धर्मांतरण को रोकने के लिए सख्त सख्त कानून बनाने, हिंदू मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने, समान नागरिक संहिता कानून लागू करने और कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से देशभर में जनजागरण चलाकर हिंदू परिवारों को मजबूत करने को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए हैं
उन्होंने बताया कि अधिवेशन में ज्ञानवापी मामले पर भी चर्चा की गई है। संतों का मत है कि यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए कोर्ट का निर्णय आने का इंतजार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता अयोध्या, काशी और मथुरा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है और काशी, मथुरा की लड़ाई अभी कोर्ट में है। इसलिए कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा।