गोरखपुर। प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिवस की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। क्रिसमस की रौनक बाजारों में बढ़ गई है। मसीही समाज के लोग प्रभु यीशु के जन्म उत्सव के उल्लास में डूबे हुए हैं। महिलाएं और पुरुषों ने घर की सफाई से लेकर घर को सजाने का काम शुरू कर दिया है। तमाम जगहों पर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
शास्त्री चौक स्थित क्राइस्ट चर्च में मंगलवार को यीशु मसीह के जन्म से संबंधित नाट्य का मंचन किया गया जिसमें बच्चे और बड़ों ने विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। पवित्र शास्त्र बाइबल में वर्णित जिन घटनाओं पे नाट्य मंचन किया गया। इसके अलावा बच्चों द्वारा मसीही गीतों पर एंजेल डांस की प्रस्तुति दी गई । इस अवसर पर चर्च के पुरोहित रेव्ह डीआर लाल ने बताया कि यीशु मसीह का जन्म एक ऐतिहासिक सत्य घटना है। आज से दो हजार वर्ष पूर्व परमेश्वर के इकलौते पुत्र यीशु मसीह जगत के उद्धारकर्ता के रूप में संपूर्ण मानवजाति के पापों के दंड को अपने ऊपर लेते हुए सलीब पर अपना बलिदान दे दिया। इस मौके पर डॉ. एसके लॉरेंस, सेक्रेटरी अमर जॉय सिंह, अंजलि रफेल, नेहा, रितिका, रितेश जोशुआ, अरुणा वॉशिंगटन, अभिषेक वॉशिंगटन, अमरीन, वेरोनिका मसीह, निशा आदि मौजूद रहे।
डब्लूएफसी ने मनाया क्रिसमस ट्री
मंगलवार की शाम सेंट जॉन चर्च बशारतपुर में पादरी रोशन लाल के नेतृत्व में डब्लूएफसीएस की बहनों ने क्रिसमस ट्री का आयोजन किया गया। उन्होंने प्रभु की महिमा में एक से बढ़ कर एक गीत प्रभु के चरणों में निवेदित किया। इस मौके पर सुनीता बेंजामिन, स्मिता जेकब, शशि बाला मूसा, नेहा डिक्सन, सभ्या जेकब, रूबी नोएल मौजूद रहीं।
शहर का सबसे पुराना है सेंट जॉन चर्च
बशारतपुर में स्थित सेंट जॉन चर्च शहर का सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च को वर्ष 1823 में झोपड़ी में स्थापित किया गया था। बाद में चर्च खपरैल में स्थापित हो गया। लगभग दो दशक पूर्व यहां खूबसूरत दो मंजिल का प्रेयर हॉल और चर्च बना। वर्तमान में चर्च का खूबसूरत भवन एवं विभिन्न रंग एवं भिन्न भिन्न प्रकार के फूलों से युक्त परिसर यहां आने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
सेंट जॉन चर्च के पुरोहित रेव्ह रोशन लाल ने बताया कि इस चर्च का निर्माण मिशनरी एसोसिएशन के माइकल विलकिंसन ने कराया। तत्कालीन कलेक्टर राबर्ट मार्टिनस बर्ड ने इसके लिए आर्थिक सहायता दी। गवर्नर जनरल लार्ड विलियम वेंटिक ने मिशनरी एसोसिएशन के सामाजिक कार्यों को देखते हुए वर्ष 1931 में चर्च के निर्माण के लिए 1500 एकड़ जमीन इस शर्त पर दी कि जमीन को उपजाउ बनाकर खेती की जाए। पहले यहां विशाल जंगल हुआ करता था। मिशनरी एसोसिएशन और आसपास के लोगों ने करीब 600 एकड़ जमीन की साफ-सफाई कर इसे खेती योग्य बनाया। यहां पर स्थित पोखरे के चारों ओर समाज के लोगों ने झोपड़ी डाल ली और रहने लगे।