राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार प्रदेश में एक जनवरी से अब तक आपदा में 36 लोगों के मारे जाने की खबर है। इनमें बागेश्वर में एक चमोली में पांच, चंपावत में दो, देहरादून में दो, हरिद्वार में दो, नैनीताल में दो, पौड़ी में दो, पिथौरागढ़ में पांच, रुद्रप्रयाग में चार, टिहरी में पांच, ऊधमसिंह नगर में दो और उत्तरकाशी में चार लोगों के मारे जाने की खबर है।

आपदा की दृष्टी से संवेदनशील उत्तराखंड में इस साल 36 लोग जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा 53 लोग घायल हुए हैं, जबकि 13 लोग लापता हैं। जनहानि के साथ 254 छोटे-बड़े पशुओं की भी मौत हो चुकी है। सैकड़ों कच्चे-पक्के भवनों को नुकसान पहुंचा है। वहीं बीते वर्ष आपदा में कुल 303 लोगों की मौत हुई थी।

सचिवालय स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार प्रदेश में एक जनवरी से अब तक आपदा में 36 लोगों के मारे जाने की खबर है। इनमें बागेश्वर में एक चमोली में पांच, चंपावत में दो, देहरादून में दो, हरिद्वार में दो, नैनीताल में दो, पौड़ी में दो, पिथौरागढ़ में पांच, रुद्रप्रयाग में चार, टिहरी में पांच, ऊधमसिंह नगर में दो और उत्तरकाशी में चार लोगों के मारे जाने की खबर है। वहीं 450 से अधिक कच्चे-पक्के भवनों को आंशिक से लेकर भारी क्षति पहुंची है। इसमें बीते शुक्रवार रात को हुई भारी बारिश के बाद के नुकसान का आंकड़ा शामिल नहीं है।

वहीं अगर बीते वर्ष की बात करें तो कुल 303 लोगों की जान गई, जबकि 87 लोग घायल हुए थे। 61 लोग आज भी लापता की सूची में दर्ज हैं। आपदा में 412 बड़े पशु, 740 छोटे पशु भी आपदा की चपेट में आकर बेमौत मारे गए। वहीं, 2436 कच्चे-पक्के भवन, गौशालाओं और झोपड़ियों को आंशिक से लेकर भारी क्षति पहुंची थी।

मानसून सीजन में गई थी 36 की जान

बीते वर्ष 15 जून से 30 सितंबर के बीच मानसून सीजन में आपदा के दौरान 36 लोगों की मौत हुई थी। इसमें 33 लोग घायल हुए थे, जबकि छह लोग आज भी लापता हैं।

दो दिन की बारिश ने बरपाया था कहर, 79 की मौत

बीते वर्ष मानसून सीजन खत्म होने के बाद 17 से 19 अक्तूबर के बीच हुई भारी बारिश ने तबाही का ऐसा मंजर दिखाया कि इसमें 79 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस आपदा में चार लोग बुरी तरह घायल हुए थे, जबकि चार लोग लापता हो गए थे। इस आपदा में सबसे ज्यादा 29 मौतें नैनीताल जिले में हुई थीं।

 

 

By Tarun

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