श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय शोध सम्मेलन के समापन समारोह में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रो. जयप्रकाश नारायण ने कहा कि सहृदय व्यक्ति ही काव्य का रसास्वाद ले सकता है। काव्यशास्त्र के ज्ञान से मनुष्य व्यवहार ज्ञानी व यश को प्राप्त करता है। काव्य मानव जीवन का कल्याण करने वाला होता है।
रविवार हुए समापन में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रो. श्रवण कुमार ने कहा कि भारतीय काव्यशास्त्र परंपरा मानवीय जीवन को अनुशासित करना सिखाती है। काव्यशास्त्र में निहित शब्द शक्ति से शब्दों के असंख्य अर्थ निकाले जा सकते हैं।केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्त्ति परिसर देवप्रयाग से प्रो.विजयपाल शास्त्री ने पाणिनीव्याकरण और भाषाविज्ञान पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि भाषा विज्ञान को ग्रामीण भाषा से जोड़कर पढ़ा जाए तो पाणिनीव्याकरण का अध्ययन सरल हो जाता है।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि काव्य सहृदयों को लोकोत्तर में ले जाती है। उत्तम काव्य निर्माण के लिए प्रतिभा होना नितांत अनिवार्य है। संस्कृत शिक्षा निदेशक पद्माकर मिश्र ने कहा कि श्रेष्ठ काव्य रचना के लिए कवि में निपुणता होनी चाहिए, जो लोकशास्त्र काव्यादि के अवेक्षण से संभव है। इस दौरान सत्रांत में रूपक महोत्सव एवं संस्कृत ओलंपियाड के विजयी छात्रों को सम्मानित किया गया।

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