साल 2020 और 2021 में चौरासी कोसी परिक्रमा कोरोना की वजह से नहीं निकाली जा सकी थी. बताते हैं कि 84 कोसी परिक्रमा सदियों से होती आ रही है. राम जन्मभूमि की परिक्रमा के लिए होने वाली ‘84 कोसी परिक्रमा’ 22 दिन बाद शनिवार को अयोध्या वापस पहुंची. ये परिक्रमा 16 अप्रैल को शुरू हुई थी. साधु संतोसाधु संतों ने अयोध्या की सीमा में प्रवेश किया और अब रविवार सुबह ‘रामकोट’ की परिक्रमा के बाद रामलला का दर्शन करेंगे

चौरासी कोसी परिक्रमा करीब 275 किलोमीटर की यात्रा है जो 5 जिलों अयोध्या, बस्ती, अम्बेडकरनगर, गोंडा और बाराबंकी से होकर गुजरती है. इस पूरे परिक्रमा मार्ग को यूपी विधानसभा चुनाव से पहले नेशनल हाईवे घोषित किया गया था. राम जन्मभूमि के लिए परिक्रमा का बहुत महत्व है

. इस 84 कोस को ही अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा माना जाता है. कोरोना की वजह से 2 साल बाद 84 कोसी परिक्रमा हो रही है.इस 84 कोस को ही अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा माना जाता है. कोरोना की वजह से 2 साल बाद 84 कोसी परिक्रमा हो रही है.

इस साल 17 अप्रैल को निकाली गई थी परिक्रमा

साल 2020 और 2021 में चौरासी कोसी परिक्रमा कोरोना की वजह से नहीं निकाली जा सकी थी.बताते हैं कि 84 कोसी परिक्रमा वैसे तो सदियों से होती आ रही है, लेकिन विहिप की ओर से परिक्रमा निकालने का कार्यक्रम 2013 से शुरू किया गया था. बता दें कि 17 अप्रैल से शुरू हुई ये परिक्रमा पांच जिलों के 107 गांवों से होकर गुजरी. इसमें पंचकोसी, चौदहकोसी और चौरासी कोसी परिक्रमा सभी भक्तों के उद्धार का माध्यम माना जाता है .

By Tarun

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