लक्ष्मणझूला-नीलकंठ मोटर मार्ग स्थित घट्टूगाड़ में आत्म कुटीर आश्रम के स्वामी राही बाबा के सानिध्य में 20 मार्च को मणिकूट पर्वत परिक्रमा का आयोजन होगा। यात्रा सुबह सात बजे डीएम कैंप कार्यालय लक्ष्मणझूला के समीप पांडव गुफा से शुरू होगी।  परिक्रमा के संयोजक पूर्व राज्यमंत्री रमेश उनियाल ने बताया कि हिमालय में मणिकूट हमेशा ही तपस्या करने वाले ऋषि मुनियों की तपस्थली रहा है। तपस्वी मणिकूट पर्वत की परिक्रमा आलौकिक शक्तियों के संग्रह और परमात्मा की प्राप्ति के लिए करते थे। वर्तमान समय में गृहस्थ मणिकूट परिक्रमा सांसारिक लाभ और साधु जन परमात्मा की प्राप्ति के लिए करते हैं। इस यात्रा में मार्ग में आने वाले 12 द्वारों का विधिवत पूजन किया जाता है। प्रथम द्वार पांडव गुफा है। यह स्थान स्वर्गारोहणी के समय पांडवों की तपस्थली तो रहा ही है। सतयुग में देवताओं के गुरु वृहस्पति की ओर से यह स्थान पूजित था। त्रेतायुग में लक्ष्मण ने यहां तपस्या की। द्वापर युग में महावीर हनुमान की तपोभूमि रहा। यात्रा में पांडव गुफा, गरूडचट्टी, फूलचट्टी, कालीकुंड, पीपलकोटी, दिउली, कुशाशील, विन्धवासिनी, गौहरी बैराज, गणेश चौड़, भैरवघाटी नामक स्थानों में स्थित 12 द्वारों की पूजा होती है। बीते कुछ वर्षों से यात्रा वाहनों से एक दिन में ही की जा रही है। यात्रा में शामिल होने वाले जिन लोगों के पास स्वयं का वाहन नहीं होगा उन्हें पांडव गुफा में परिक्रमा समिति निशुल्क वाहन उपलब्ध करवाएगी। सभी यात्रियों के निशुल्क जलपान और भोजन की समुचित व्यवस्था की जाएगी।

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