श्रीरुद्रचंडी महायज्ञ और देवी भागवत कथा की पूर्णाहुति मंगलवार को हवन पूजन के साथ हुई। देवी को 56 भोग लगा। नौ कन्याओं का पूजन और 21 ब्राह्मणों को भोज कराया गया। यज्ञशाला में वैदिक विधि से नौ दिनों में सवा लाख आहुतियां डाली गईं। नौ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन सुबह से लेकर रात तक पूजन-अर्चन और भंडारा चला। सुबह आचार्य अनुपम शुक्ला मुन्ना गुरु के आचार्यत्व में सुबह 16 स्तंभ वाले मंडप और 11 वेदियों का पूजन हुआ। पूजन में देवी भागवत कथा वाचक विद्याधर त्रिपाठी ने देवी के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। आचार्य मुन्ना ने बताया कि मानव के कल्याण, राष्ट्र के उत्थान और सनातन की रक्षा के लिए रुद्रचंडी यज्ञ व देवी कथा हुई। प्रतिदिन 10 हजार से अधिक आहुतियां डाली गईं।