महाकुंभ में साढ़े चार करोड़ श्रद्धालुओं ने आदि विश्वेश्वर ज्ञानवापी के 440 साल पुराने मंदिर के मॉडल का दर्शन किया। साथ ही ज्ञानवापी की मुक्ति का संकल्प लिया।

Hindus saw the glory of 440 year old Adi Vishweshwar, documents of Shri Krishna's birthplace also made public

महाकुंभ में साढ़े चार करोड़ श्रद्धालुओं ने आदि विश्वेश्वर ज्ञानवापी के 440 साल पुराने मंदिर के मॉडल का दर्शन किया। साथ ही ज्ञानवापी की मुक्ति का संकल्प लिया। वहीं त्रिवेणी के तट पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दस्तावेज और ध्वंस की तस्वीरें भी श्रद्धालुओं के लिए सार्वजनिक की गईं। प्रदर्शनी में प्रदर्शित मंदिर के दस्तावेज और तस्वीरों को साढ़े छह करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने देखा है।

श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास की ओर से 1669 में ध्वंस किए गए श्री आदि विश्वेश्वर मंदिर ज्ञानवापी का मॉडल देश और दुनिया भर के सनातनी हिंदुओं के दर्शन के लिए सेक्टर-19 में रखा गया था। 17 जनवरी से 18 फरवरी तक साढ़े चार करोड़ श्रद्धालुओं ने मंदिर के इस मॉडल को देखा और नमन किया। ज्ञानवापी के मॉडल के साथ ही वर्तमान समय की तस्वीरों को भी लगाया गया था। इसके साथ ही एएसआई के सर्वे के दौरान मिले प्रतीक चिह्नों को प्रदर्शनी के जरिए दर्शाया गया।

पहली बार महाकुंभ में जन्मभूमि से जुड़े दस्तावेज और तस्वीरों को किया सार्वजनिक

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास की ओर से त्रिवेणी के तट पर जन्मभूमि के प्राचीन दस्तावेज और चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। सेक्टर-16 में लगी प्रदर्शनी ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह पहला मौका था जब महाकुंभ में जन्मभूमि से जुड़े दस्तावेज और तस्वीरों को सार्वजनिक किया गया था। इसके अलावा औरंगजेबनामा, मासीर ए आलमगिरी, औरंगजेब का इतिहास, जनवरी 1670 में मथुरा के कृष्ण मंदिरों को तोड़कर मूर्तियों को मस्जिद की सीढि़यों में लगाने का फरमान भी प्रदर्शनी का हिस्सा बना था। न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि महीने भर तक लगी प्रदर्शनी को साढ़े छह करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने देखा है। प्रदर्शनी में जन्मभूमि के मामले से जुड़े कई दस्तावेजों को महाकुंभ में पहली बार सार्वजनिक किया गया था। इसके जरिए आम जनता को जन्मभूमि के लिए जागरूक करना ही उद्देश्य था।

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