संतों का कहना है कि इसी मंदिर के सहारे संघ और भाजपा ने सत्ता प्राप्त की है। अब जब हिंदू आस्था के उन प्रतीकों को वापस लाने का समय आया, तब संघ प्रमुख उल्टे बोल बोल रहे हैं। इसे किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि संघ प्रमुख सनातन के सबसे बड़े प्रहरी हैं।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हर जगह मंदिर नहीं ढूंढने वाले बयान पर महाकुंभ में आए संत बंट गए हैं। कुछ संतों ने जहां संघ प्रमुख का समर्थन किया है तो कुछ संतों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संतों का कहना है कि इसी मंदिर के सहारे संघ और भाजपा ने सत्ता प्राप्त की है। अब जब हिंदू आस्था के उन प्रतीकों को वापस लाने का समय आया, तब संघ प्रमुख उल्टे बोल बोल रहे हैं। इसे किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि संघ प्रमुख सनातन के सबसे बड़े प्रहरी हैं। वह राष्ट्र की उन्नति और सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन जब मैं किसी मंदिर पर मस्जिद की आकृति देखता हूं तो बहुत पीड़ा होती है। जब हमारे हिंदू आस्था के प्रतीकों को बचाने का समय आया है, तब हमें इस तरह के विचारों से दूर रहना होगा। महाकुंभ में अपने शिविर का भूमिपूजन करने आए कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि वह मोहन भागवत का सम्मान करते हैं, इसलिए उनके बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन मेरा मानना है कि मथुरा और काशी समेत हमारे दूसरे मंदिर मिलने ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर हम भगवान कृष्ण और भोलेनाथ के मंदिरों को नहीं बचा सके तो काहे के कथावाचक और काहे के सनातनी। हम अपनी भावनाएं बता रहे हैं कि जब तक हमारे मंदिर हमें नहीं मिल जाएंगे, तब तक कलेजे में लगी आग नहीं बुझ सकेगी। दूसरे धर्म के लोग अगर सौहार्द दिखाना चाहते हैं तो उन्हें खुद कहना चाहिए कि आप अपने मंदिर वापस ले लो। इसी तरह ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मोहन भागवत उन पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे, अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं खोजने की नसीहत दे रहे हैं। इसी तरह महाकुंभ में सबसे बड़ा भंडारा चला रहे ओम नम: शिवाय बाबा ने मोहन भागवत का बचाव किया है। उनका कहना है कि मोहन भागवत ने सही कहा है, हर जगह विवाद खड़ा करना उचित नहीं कहा जा सकता।