2017 में हुए चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ा था। वह भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद के सामने असफल साबित हो गए थे। अब टिकट आवंटन से पहले तक हरीश रावत के हरिद्वार ग्रामीण से फिर से मैदान में उतरने की चर्चाओं का बाजार गर्म था। ऐन वक्त पर उनकी बेटी अनुपमा रावत को टिकट दे दिया गया। अब अनपुमा रावत दखखम के साथ स्वामी यतीश्वरानंद के सामने चुनाव लड़ रही है। नामांकन के अंतिम दिन डा. दर्शन लाल शर्मा का टिकट बदलकर मोहम्मद युनूस अंसारी को प्रत्याशी बनाए जाने से पिछले चुनाव की तरह कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। क्योंकि पिछले चुनाव में मुस्लिम वोट बसपा पर भी जाने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था। दूसरे सपा के प्रत्याशी साजिद अली अंसारी भी मुस्लिम समाज से होने के कारण कांग्रेस के परंपरागत वोटों में सेंध लगाने का काम कर रहे हैं। मुस्लिम वोटों के इस ध्रुवीकरण के चलते मजबूती से चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस टेंशन से गुजर रही है। हैट्रिक लगाने के लिए सियासी समर में उतरे स्वामी यतीश्वरानंद के रास्ते में आप प्रत्याशी नरेश शर्मा रोड़ा बन रहे हैं। दरअसल, भाजपा में रहे नरेश शर्मा काफी समय पहले से ही हरिद्वार ग्रामीण सीट पर टिकट के लिए सक्रिए हो गए थे। बाद में वह आम आदमी पार्टी में शामिल होकर चुनाव में उतरे हुए हैं। उनकी क्षेत्र में पहचान का खामियाजा भुगतने का डर भाजपा को लग रहा है।
सैनी समाज से भी बसपा से टिकट नहीं मिलने पर अब पंकज सैनी आजाद समाज पार्टी से चुनावी दंगल में हैं। इस सीट पर सैनी समाज का वोट 16 हजार के आसपास है। जबकि सैनी समाज का भाजपा का वोटर माना जाता रहा है। ऐसे में वह सैनी समाज में घुसपैठ करके भाजपा को परेशान करते हुए दिख रहे हैं। उधर, स्वामी यतीश्वरानंद को अवैध खनन के आरोपों को भी झेलना पड़ रहा है। उन पर अवैध खनन खनन के आरोप विपक्षी दलों की ओर से लगाए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी यहां मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है।