संकट मोचन संगीत समारोह की तीसरी निशा पर कलाकारों का विहंगम जुटान हुआ। उनकी प्रस्तुति पर दर्शक भी मंत्रमुग्ध दिखे। युवा चित्रकारों ने अपनी कला के माध्यम से हनुमत दरबार में हाजिरी लगाई। उनका उत्साह भी देखने लायक था।

sankat mochan sangeet samaroh hands of drummer Shivmani moved like fan on ladle plate-bowl bell-clock

डारबुका, उडूकबी, घाटम, कंजीरा, ऑक्टोबन इंस्ट्रूमेंट्स की धुन लेकर एथनिक लुक में मंच पर आए ड्रमवादक शिवमणि ने पूरे संकट मोचन परिसर को संगीत के महालोक में बदल दिया। कलछुल, चम्मच, बाल्टी, थाल-कटोरी, घुंघरू और घंटा-घड़ियाल पर उनके दोनों हाथों की स्टिक फर्राटा फैन की तरह चल रही थी। इससे निकलने वाली तरंगें श्रोताओं को पांव से लेकर सिर तक नृत्य करा रही थीं।

इस लाइव ध्वनि अभियांत्रिकी में पं. यू राजेश की मैंडोलिन ने लयकारी का रस घोल दिया। वहीं, महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा की पखावज की धमक मंदिर के बाहर तक तक पहुंच गई। तीनों महारथियों का ऐसा संगत हुआ कि पलक झपकने से पहले ही ड्रम पर 3, 6 और 9 बीट्स पार हो जातीं। रघुपति राघव राजाराम, महिषासुर मर्दिनी, पंजाबी भंगड़ा, गरबा, राजस्थानी ढोल, भोजपुरी, बंगाली, पहाड़ी संगीत सब कुछ क्षण प्रतिक्षण सुनाई देता रहा। 

शिवमणि ने घंटा बजाते-बजाते उसे पानी भरी बाल्टी में डुबोया तो भूमिगत मेट्रो के चलने की आवाज गूंजने लगी। भीगे घुंघरुओं की आवाज ने लहरों में जलपरी नृत्य जैसा एहसास कराया। बाल्टी को ही ड्रम बनाकर पांच मिनट तक बजाते रहे। प्रस्तुति खत्म होने के बाद 5 मिनट तक हर-हर महादेव… का जयघोष गूंजता रहा। 

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