स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा धर्मस्थानों का अधिग्रहण अनुचित है। साथ ही वृंदावन के धर्माचार्यों से आह्वान किया कि वे किसी भी कीमत पर बांके बिहारी मन्दिर को अधिगृहीत न होने दें।

Swami Avimukteshwarananda opposed acquisition of Banke Bihari temple in varanasi

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर को सरकार द्वारा अधिग्रहण किए जाने का कड़ा विरोध किया। वे इन दिनों काशी में प्रवास कर रहे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वृंदावन के धर्माचार्यों से आह्वान किया कि वे किसी भी कीमत पर बांके बिहारी मन्दिर को अधिगृहीत न होने दें।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा हमें बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि एक तरफ सनातन धर्म के धर्माचार्य पूरे देश में मुहिम चलाए हुए हैं कि सरकार ने जिन-जिन मंदिरों व धर्मस्थानों का अधिग्रहण कर लिया है उनको वापस लिया जाए और सनातन धर्म बोर्ड बनाकर धर्माचार्यों के द्वारा उसका संचालन किया जाए।

वहीं इस मुहिम को सबसे अधिक आगे बढ़ाने वाले देवकीनंदन ठाकुर जी के ही वृंदावन में जो बांके बिहारी मंदिर परंपरा से सेवायतों और पुजारियों के हाथों में था उसको सरकार दिनदहाड़े ट्रस्ट बनाकर अधिगृहित कर ले रही है और कोई कुछ नहीं बोल रहा है। जब सरकार मंदिरर को अधिगृहित करके वहां सरकारी अधिकारी बैठा देगी तो भविष्य में फिर वहां धर्म की क्या व्यवस्था देखने को मिलेगी?

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि आश्चर्य है कि बातें अलग कहीं जा रही हैं और व्यवहार अलग तरह का किया जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष सरकार को परंपरा से चले आ रहे सनातनी मंदिरों को अधगृहीत करने का क्या अधिकार है? बांके बिहारी मंदिर में जो हमारे गोस्वामियों की परंपरा है उस परंपरा का हमें पोषण करना है। यदि बांके बिहारी मंदिर में कोई कमी या कोई गड़बड़ी भी हो रही है तब भी उस पर विचार कर उसको ठीक किया जाना चाहिए, न कि गड़बड़ी के नाम पर धर्मस्थान को धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा अधिगृहित कर लेना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो यह धर्मस्थान कहां रह जायेगा? 

बताया कि धर्मस्थान और धर्मनिर्पेक्षस्थान में बड़ा अंतर है। हिंदुस्तान जब से धर्मनिरपेक्ष हुआ तब से वह धर्मनिर्पेक्षस्थान हो गया। इसलिए कम से कम हिंदुस्तान के धर्मस्थान को तो धर्मस्थान रहने दीजिए उसे धर्मनिर्पेक्षस्थान मत बनाइए।

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