राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद लक्ष्य सेन – फोटो : सोशल मीडिया
‘भारत के लिए पदक लेकर आऊंगा, भले ही रंग चाहे कोई भी हो…’ ये शब्द लक्ष्य सेन के हैं जो उन्होंने बर्मिंघम रवाना होने से पहले अमर उजाला से हुई बातचीत में कहे थे। सोमवार को लक्ष्य सेन ने राष्ट्रमंडल खेलों के अंतिम दिन बैडमिंटन के एकल मुकाबले के फाइनल में मलयेशिया के त्जे यंग को तीन गेम तक चले मुकाबले में एक के मुकाबले दो सेट से शिकस्त देकर अपना वादा पूरा
फोन पर हुई बातचीत में लक्ष्य ने बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों का सफर उनके लिए आसान नहीं था। इंडोनेशिया में लगी चोट के बाद टेंशन इस बात की थी कि राष्ट्रमंडल खेलों से पहले मैं ठीक हो पाऊंगा या नहीं।
पिता और मेरे कोच डीके सेन, भाई चिराग और मां निर्मला ने कहा कि चोट के बारे में सोचने के बजाय इससे कितनी जल्दी ठीक हो सकता है, इस पर ध्यान दें। माता-पिता की सीख और प्रशिक्षकों और फीजियों की सलाह पर काम किया नतीजतन जल्द ही फिट हुआ और नतीजा सबके सामने है।
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फाइनल में पहला सेट 19-21 से हारने के बाद कुछ पल के लिए तनाव में आया था लेकिन फिर अपने खेल पर फोकस किया और दूसरा सेट 21-9 और 21-16 से जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए एक और पदक जीतने में कामयाब हुआ। साल की शुरुआत में इंग्लैंड ओपन में खेलने का फायदा भी राष्ट्रमंडल खेलों में मिला।