रंगनाथ के दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन यानी बुधवार को भगवान सोने से बने गरुड़ वाहन पर विराजमान हुए। स्वर्ण निर्मित गरुड़ वाहन पर विराजमान भगवान के दर्शन कर श्रद्धालु आनंद में डूब गए। चहुंओर भगवान रंगनाथ के जयकारे गूंजने लगे।

मथुरा के वृंदावन में उत्तर भारत के श्री रंगनाथ मंदिर में चल रहे दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन बुधवार को भगवान रंगनाथ स्वर्ण निर्मित गरुड़ वाहन पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। वहीं शाम को भगवान श्री रंगनाथ हनुमानजी पर विराजमान होकर निकले। इस मौके पर बड़े बगीचा मैदान पर छोटी आतिशबाजी की गई।
सुबह भगवान रंगनाथ की सवारी रथ मंडप से प्रारंभ हुई। वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच यह सवारी पुष्करणी के समीप पूर्वी द्वार पर पहुंची, जहां इसे लगभग एक घंटे तक विराम दिया गया। मान्यता के अनुसार यह परंपरा भगवान के अनन्य भक्त दूधा स्वामी जी से जुड़ी है जो अस्वस्थ होने के कारण एक बार दर्शन के लिए नहीं आ सके थे। तब भगवान स्वयं उनके दर्शन के लिए गए थे। तब से ही इस सवारी को पूर्वी द्वार पर रोकने की परंपरा चली आ रही है।
इस दौरान प्रसिद्ध बांसुरी वादक मनोज और शास्त्रीय संगीतज्ञ वासुदेवन श्रीधर ने अपनी कला से भगवान की भव्य आराधना की। वहीं शाम को भगवान हनुमानजी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले।
ब्रह्मोत्सव के इस आयोजन में स्वामी राघवाचार्य, स्वामी धर्माचार्य, स्वामी रघुनाथ, स्वामी पुरुषोत्तम, राजू स्वामी, रंगा स्वामी, देव व्रत मिश्रा समेत अन्य विद्वान व संत उपस्थित रहे।