वाराणसी के मदनपुरा में 15 साल बाद खुले सिद्धिश्वर महादेव मंदिर से मूल पाषाण शिवलिंग गायब है। वहीं तीन शिवलिंग खंडित मिले। अब खरमास बाद प्राणप्रतिष्ठा होगी।

मदनपुरा में मिले सिद्धिश्वर महादेव के मंदिर का मूल पाषाण शिवलिंग गायब है। मंदिर में जो भी शिवलिंग मिले हैं, वह नर्मदेश्वर लिंग हैं। सभी शिवलिंग खंडित हैं। एक शिवलिंग एक फीट और बाकी डेढ़ व पौने दो फीट के हैं। यह स्मृति शिवलिंग हैं, जिसे किसी ने मंदिर में रखा था।

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि खरमास के बाद मंदिर का कपाट खोला जाएगा और जीर्णोद्धार का कार्य शुरू होगा। पाषाण शिवलिंग की स्थापना विधि-विधान से कराई जाएगी। शिवलिंग किसने उखाड़ा इस विवाद में नहीं पड़ेंगे। काशी में स्थान की प्रधानता है। भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि वह स्थान पर विराजमान रहते हैं। भले ही शिवलिंग न हो, लेकिन जब समय आता है तो वह खुद प्रकट हो जाते हैं। आज वही हुआ है। आसपास के भवन में सिद्धि काली भी हैं। उसको खुलवाने के लिए शांतिपूर्ण ढंग से वार्ता होगी।
17 दिसंबर को मिली थी मंदिर की सूचना, प्रशासन की जांच में किसी का मालिकाना हक नहीं मिला
मदनपुरा गोल चबूतरा इलाके में स्थित मकान नंबर डी-31/65 के पास मंदिर मिलने की सूचना 17 दिसंबर 2024 को मिली थी। सोशल मीडिया पर लिखा गया कि यह मंदिर पिछले 15 साल से बंद है। इसके बाद सनातन रक्षक दल के कार्यकर्ता मंदिर का ताला खुलवाने पहुंच गए थे। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए मौके पर पुलिस तैनात कर दी गई थी। जिला प्रशासन ने कहा था कि कागजों की जांच के बाद मंदिर खुलवाने का निर्णय लिया जाएगा। जिला प्रशासन ने दस्तावेज की जांच की और पता चला कि मंदिर एक सार्वजनिक स्थल है। मंदिर से सटे भवन को मुस्लिम परिवार को बेचा गया था, लेकिन मंदिर की जमीन पर किसी का स्वामित्व नहीं था।