सावन महीने की शुरुआत होते ही रुद्राक्ष की मालाएं तेजी से बिकने लगती हैं। कोई गले में पहनता है तो कोई ब्रेसलेट की तरह हाथों में। समय के बदलाव के साथ इसकी डिमांड भी बढ़ गई है। भगवान शिव से जुड़े रुद्राक्ष को पहनने को शाैक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

भगवान शिव को अतिप्रिय मास सावन में रुद्राक्ष की माला की मांग बढ़ जाती है। इस बार डेढ़ से दो करोड़ रुद्राक्ष की माला भगवान शिव को चढ़ाएंगे। रुद्राक्ष की माला का हब बना काशी से देश-विदेश में भी माला भेजी जाती है। यहां के नेपाल और इंडोनेशिया से कच्चा माल मंगाकर यहां पर माला तैयार की जाती है।
कारोबारियों का मानना है कि इस बार करीब पांच करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है। यहां रुद्राक्ष की दो सौ दुकानें हैं। देश से सभी धार्मिक शहरों में पूरे साल रुद्राक्ष की मांग होती है। मगर, सावन में भगवान शिव को चढ़ाने के लिए बिक्री बढ़ जाती है।
नेपाल और इंडोनेशिया में इसके पौधे हैं, जहां से कारोबारी रुद्राक्ष के दाने मंगाते हैं और यहां से तैयार कर उसे दूसरे राज्यों में भेजते हैं। यहां पर 15 थोक कारोबारी हैं, जो माला तैयार करवाकर बाहर भेजते हैं।
ऐसे करें असली की रुद्राक्ष
रुद्राक्ष की पहचान करने कई तरह से होती है। किशन व संजय ने बताया कि असली रुद्राक्ष के दो दाने को एक-दूसरे के पास लाने पर खिंचाव जैसा महसूस होता है। असली रुद्राक्ष में मुख होता है और ओम की आकृति दिखती है। नकली ज्यादा मुखी वाले रुद्राक्ष नकली होने की संभावना ज्यादा होता है। रुद्राक्ष एक से 18 मुखी भी आता हैं। यही महंगा भी होते हैं। मगर, नकली होने की संभावना इसी में ज्यादा होती है। क्योंकि इसके मुख बढ़ाकर बेच देते हैं।