परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के छठे दिन देश-विदेश से आए साधकों और योगाचार्यों ने राजाजी टाइगर रिजर्व अंतर्गत गौहरी रेंज में महर्षि महेश योगी की भावातीत आश्रम चौरासी कुटिया (बीटल्स आश्रम) में योग साधना की। ऊं और वेद मंत्रों के दिव्य नाद के साथ सभी योग साधक ध्यान में लीन हो गए। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने साधकों को बताया कि महर्षि महेश योगी की यह तपस्थली है। उन्होंने इस दिव्य भूमि पर मौन ध्यान की एक विलक्षण पद्धति विकसित की। वे स्वयं भी मौन ध्यान सिखाते थे और उसका अभ्यास भी कराते थे। जिससे अनेकों के जीवन में अद्भुत परिवर्तन हुआ। कहा, ध्यान से तात्पर्य मानसिक अशुद्धियों का पूर्ण उन्मूलन और उनसे पूर्ण मुक्ति के बाद की खुशी, शांति और आंतरिक समृद्धि से है। ध्यान हमें जीवन की वास्तविकता से भागना नहीं बल्कि उनका सामना करना सिखाता है। अगर जीवन को उसके वास्तविक रूप में स्वीकार किया जाए तो न तनाव होगा न ही हमें जीवन बोझ लगेगा। इसलिए जीवन में ध्यान को अवश्य स्थान प्रदान करें। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हम सभी एक वैश्विक योगी परिवार के सदस्य है। कुटिया में पौधरोपण किया गया। परमार्थ निकेतन में आयोजित महोत्सव के छठे दिन की शुरुआत साधकों का योगाचार्य डॉ. विश्वकेतु के प्राणायाम के अभ्यास से हुआ।