काशी की लजीज मलइयो का स्वाद चखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करने के बाद लोग मलइयो का सेवन जरूर करते हैं। अब इसका ट्रेंड भी बदल रहा है। इस बदलाव के साथ काशी के देवों को अब भक्त मलइयो का भी भोग लगाने लगे हैं।

Gods changed in winter Baba Kalbhairav bathed saffron offerings Adikeshav special thing

शीतकाल में देवों का भोग भी बदल गया है। उन्हें तासीर गर्म करने वाले केसर, कस्तूरी व सोंठ के अलावा चूड़ा-मटर और गाजर के हलवे का भोग लग रहा है। बाबा कालभैरव को केसर से स्नान कराया जा रहा है। वहीं, दुर्गा मंदिर में केसर दूध का भोग लग रहा है। वैष्णव मंदिरों में भोग में मगही पान चढ़ाया जा रहा है। ठंड को देखते हुए मंदिरों में भोग लग रहे हैं। कालभैरव मंदिर के प्रधान पुजारी पं. मोहित महाराज ने बताया कि बाबा को जल में केसर मिलाकर स्नान कराया जाता है। दुर्गाकुंड मंदिर के प्रधान पुजारी कौशलपति द्विवेदी ने बताया कि माता को अन्य व्यंजनों के साथ चूड़ा-मटर, गाजर का हलवा, बादाम व केसर के दूध आदि का आदि का भोग लगता है। वहीं, आदिकेशव मंदिर के महंत पं. ओमप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि प्रभु को मलइयों, केसर वाला खीर आदि का भोग लगाया जा रहा है।

दो माह तक वैष्णव मंदिरों के बदले हैं भोग व वस्त्र
वैष्णव मंदिरों में पौष मास की प्रतिदा से ठाकुर जी के भोग और वस्त्र बदल जाते हैं। चौखंभा स्थित बेटी जी मंदिर के प्रमुख गोस्वामी कल्याण राय महाराज ने बताया कि ठाकुर जी को दो महीने तक भोग सामग्री में केसर, कस्तूरी, सोंठ को शामिल किया जाता है। पंचामृत स्नान में गर्म जल मिलाते हैं।

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