पौष माह कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी पर सप्तकोसीय परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही परिक्रमा लगाना शुरू की गई, जिसका क्रम देर शाम तक जारी रहा।

वृंदावन में पौष माह कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी पर सूर्योदय से ही भक्तों ने वृंदावन की सप्तकोसीय परिक्रमा करना शुरू किया। रविवार सुबह से परिक्रमार्थियों का परिक्रमा लगाने का क्रम शुरू हुआ, जोकि देर शाम तक जारी रहा। लाखों भक्तों ने राधे-राधे की रटना के बीच परिक्रमा की। परिक्रमा मार्ग में गोपालखार, संतोष आश्रम के पास एवं वराह घाट के पास दूषित पानी से होकर श्रद्धालुओं ने परिक्रमा लगाई। परिक्रमा में कंक्रीट होने के कारण भक्तों के पैर भी चोटिल हुए। इसके बावजूद परिक्रमार्थियों के कदम नहीं रुके और ठाकुरजी की भक्ति में आगे बढ़ते रहे। एकादशी में परिक्रमा कर पुण्यलाभ अर्जित करने में विदेशी भक्त भी पीछे नहीं रहे। हरिनाम संकीर्तन के साथ उन्होेंने भी वृंदावन की परिक्रमा करके पुण्य प्राप्त किया। पौष माह की सफला एकादशी पर दान, पुण्य और भक्ति करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन सफलता की ओर अग्रसर होता है। इसलिए इस एकादशी पर पुण्यकर्म करने का विशेष महत्व है।