हालांकि, मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के अविरल तट पर आस्था का जन प्रवाह अब भी बना हुआ है। पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि के बीच चलने वाला यह आयोजन 66 करोड़ से अधिक सनातनियों के समागम का साक्षी बना।

सनातनी परंपरा की धर्म ध्वजा को पूरी दुनिया में विस्तार देने वाला 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ बुधवार को संपन्न हो गया। हालांकि, मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के अविरल तट पर आस्था का जन प्रवाह अब भी बना हुआ है। पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि के बीच चलने वाला यह आयोजन 66 करोड़ से अधिक सनातनियों के समागम का साक्षी बना।
तीन विश्व कीर्तिमान
महाकुंभ आयोजन के आखिरी दिनों में तीन विश्व रिकॉर्ड बने। इसमें 300 सफाई कर्मियों ने नदी स्वच्छता तथा 15 हजार से अधिक कर्मचारियों ने स्वच्छता के दो अलग-अलग रिकॉर्ड बनाए।
इसी के साथ 10 हजार से अधिक लोगों ने आठ घंटे में हाथ का छापा लगाकर नया विश्व कीर्तिमान बनाया। वहीं महाशिवरात्रि के अगले दिन यानि, बृहस्पतिवार को करीब 700 शटल बसों के संचालन का विश्व कीर्तिमान बनाया जाएगा। मेला प्रशासन ने इनमें से तीन अपने ही रिकॉर्ड तोड़े हैं।