भारत माता मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन संत स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज की छठवीं पुण्यतिथी बृहस्पतिवार को मनाई गई। इसमें सभी अखाड़ों के संत शामिल हुए। संत और श्रद्धालुओं ने उन्हें नमन किया और उनकी सेवा की सराहना की। कार्यक्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि किसी संत को सीमाओं में नहीं रेखांकित किया जा सकता है। इसके प्रतिरूप स्वयं स्वामी सत्यमित्रानंद थे, जिन्होंने देश की एकता अखंडता कायम रखने में अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया। जगद्गुरु ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज में स्वामी विवेकानंद की झलक दिखती थी। उन्होंने सनातन परंपराओं के संरक्षण संवर्द्धन और समाज के वंचित वर्ग की सेवा की, जिसके लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित कर सरकार ने संत समाज का गौरव बढ़ाया। जगद्गुरु ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद के दिखाए मार्ग पर चलने से ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि उनकी शिक्षा का अनुसरण करते हुए उनके स्थापित संस्थाओं की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही उनका उद्देश्य है। उन्होंने स्वामी सत्यमित्रानंद के समाधि मंदिर की आधारशिला आगामी मकर संक्रांति को रखने की घोषणा की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रांनद गिरी महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने समाज में समरसता स्थापित करने के साथ धर्म संस्कृति के संरक्षण में जो योगदान दिया, वह सदैव स्मरणीय रहेगा।

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