ऋषिकेश। तपोवन स्थित स्वामी समर्पण आश्रम घुगतानी में 14 जनवरी से आयोजित स्वामी समर्पणानंद सरस्वती महाराज के पंचाग्नि यज्ञ साधना का समापन हो गया है। अंतिम दिन यज्ञ में देश-विदेश के पर्यटक, साधक और संत महंतों ने प्रतिभाग किया। आश्रम में संत, मंहत, पर्यटक और साधकों ने पंचाग्नि यज्ञ में आहूति देकर वसुधैव कुटुंबकम की भावना को साक्षात किया।
यज्ञ के अंतिम दिन आश्रम परिसर में संत, मंहतों के लिए भंडारे का आयोजन किया गया। स्वामी समर्पणानंद सरस्वती ने बताया कि वह बीते आठ वर्ष से आश्रम परिसर में पंचाग्नि साधना करते आ रहे हैं। इस बार उनकी साधना की यह नौंवी पुनरावृत्ति थी। उनकी साधना प्रतिवर्ष जनवरी माह में आयोजित होती है। मई माह में विधिवत साधना का समापन हो जाता है। करीब पांच महीने तक चलने वाली साधना में वे मौन रहकर इस साधना को करते हैं। उन्होंने बताया कि योगनगरी में वे पहले संत हैं जो इस साधना को करते हैं। बताया कि यह साधना माता पार्वती ने शिव तत्व में विलीन होने के लिए की थी। इस साधना से साधक को ब्रह्म ज्ञान का साक्षात्कार होता है। जीवात्मा की संसार से मुक्ति हो जाती है। यह साधना छान्दोग्य, उपनिषद, शैव दर्शन, अग्नि पुराण, तंत्र शास्त्र, अघोरी विद्या में पाया गया है। विश्व कल्याण के लिए भी वे इस साधना को करते हैं। इस मौके महामंडलेश्वर सखी, स्वामी गोपालानंद, स्वामी भावात्मानंद, स्वामी विश्वरूपानंद, स्वामी सन्यासानंद, स्वामी शंकराचार्यानंद, मंहत रवि प्रपन्नाचार्य, सोफी, विलो, योगाचार्य कपिल, भावना आदि शामिल रहे।
