ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के गंगा तट पर आयोजित श्री राम कथा मंच पर डाॅ. साध्वी भगवती सरस्वती का 25वां संन्यास दीक्षा रजत जयंती समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में संत मंहतों ने प्रतिभाग किया।
आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि साध्वी ने हॉलीवुड में जन्म लिया। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। भारत घूमने आईं और भारत की होकर रह गईं। साध्वी को आज से 28 वर्ष पूर्व मानसरोवर की धरती पर 351 विभूतियों के पावन सानिध्य में स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने भगवती नाम दिया और संन्यास दीक्षा दी। महामंडलेश्वर स्वामी राजेंद्र दास ने कहा कि शक्ति के बिना व्यक्ति का व्यक्तित्व व्यर्थ है। योगगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि साध्वी प्रभु की सभी दैवीय संपदा को जी रही हैं। संन्यास, अर्जित करना नहीं अर्पित करना है, जोड़ना नहीं बांटना है। महामंडलेश्वर स्वामी रविंद्र पुरी ने साध्वी भगवती सरस्वती को संन्यास दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं, जब यह समझ में आता है वही संन्यास है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने भी अपने विचार रखे।
डाॅ. साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि मैंने अमेरिका में रहते हुये बचपन में कभी सोचा भी नहीं था कि इतना दिव्य, पवित्र संसार भी हो सकता है, लेकिन मां गंगा और गुरू कृपा से यह जीवन हमें मिला है। इस मौके पर आचार्य बालकृष्ण, डॉ. चिन्मय पंड्या, महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास, महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास, मीना माता, स्वामी ज्योतिर्मयानन्द, अजय, स्वामी सुखदेव आदि शामिल रहे।