श्री बांकेबिहारी मंदिर न्यास ट्रस्ट में 18 सदस्य होंगे। ट्रस्ट के सदस्य मंदिर प्रबंधन से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं देखेंगे। इसको लेकर राज्यपाल की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है।

मथुरा के वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर का प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं की जिम्मेदारी ‘श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास’ संभालेगा। इसमें 11 ट्रस्टी नामित किए जाएंगे, जबकि अधिकतम 7 सदस्य पदेन हो सकेंगे। सरकारी और गैर सरकारी सभी सदस्य सनातन धर्म को मानने वाले होंगे। इस संबंध में सोमवार को राज्यपाल की ओर से अध्यादेश जारी कर दिया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि न्यास के जरिये मंदिर की धार्मिक या सांस्कृतिक परंपराओं में सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी।
अध्यादेश के अनुसार, न्यास का उद्देश्य यथासंभव स्वामी हरिदास के समय से चले आ रहे रीति-रिवाजों, परंपराओं, त्योहार-समारोहों, व्रत एवं अनुष्ठानों के अनुरूप बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के मंदिर में पीठासीन देवता व अन्य देवों की पूजा, अर्चना एवं पद्धतियों की निरंतता सुनिश्चित करना है। हालांकि, इसके तहत दर्शन का समय निर्धारित करना, पुजारियों की नियुक्ति करना, उनके वेतन या आगुंतकों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने के उपाय नहीं रोके जा सकते। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं और आगंतुकों को विश्वस्तरीय सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
न्यासी बोर्ड के न्यासियों की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। इसमें दो तरह के न्यासी होंगे-नाम निर्दिष्ट और पदेन न्यासी। नामित न्यासियों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से सबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति और सनातन धर्म की अन्य परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से संबंधित तीन संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य व स्वामी शामिल किए जाएंगे। इसके अलावा नामित न्यासियों में सनातन धर्म की किसी भी शाखा से संबंधित तीन शिक्षाविद, विद्वान, उद्ममी व समाजसेवा आदि होंगे। मंदिर में सेवारत गोस्वामी परंपरा से दो सदस्य होंगे, जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज हों। इनमें एक राज भोग सेवायतों का प्रतिनिधित्व करेगा एवं दूसरा शयन भोग सेवायतों का। इनकी नियुक्ति इसके लिए प्राप्त नामांकनों के आधार पर की जाएगी।
पदेन न्यासियों में मथुरा के डीएम, एसएसपी व नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट सीईओ राज्य सरकार की ओर से नियुक्त सदस्य शामिल होंगे। नामित न्यासियों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। कोई न्यासी दो बार लगातार (अनुक्रमश:) नियुक्त नहीं किया जाएगा। साथ ही कोई न्यासी दो बार से अधिक नियुक्त नहीं किया जा सकेगा।
गैर सनातनी नहीं होंगे नामित या पदेन ट्रस्टी
अध्यादेश में कहा गया है कि सभी न्यासी हिंदू होंगे और सनातन धर्म को मानने वाले होंगे। कोई भी गैर हिंदू व्यक्ति नाम निर्दिष्ट न्यासी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। जहां पदेन न्यासी के रूप में नियुक्त व्यक्ति सनातन धर्म से संबंधित नहीं हो या जहां हिंदू हो, पर व्यक्तिगत विश्वासों के कारण न्यासी का दायित्व निभाने में असमर्थ हो, ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति से कनिष्ठ व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा। नियुक्ति में जाति या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।