श्री ललिताम्बा महाशक्ति पीठ, रमपुरवा धाम, उचैहरा-मैहर, जिला-सतना (म0प्र0) में श्रीललिताम्बा महाशक्ति पीठ के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित चार वेद, अठारह पुराण, सवा लाख पार्थिवेश्वर पूजन तथा 108 कुण्डीय श्रीलक्ष्मी महायज्ञ के अन्तर्गत आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सन्त सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि यज्ञ समस्त कामनाओं की पूर्ति का सबसे बड़ा माध्यम पहले भी रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा । यज्ञ असंगठित, विभाजित समाज को एक सूत्र में पिरोने का भी माध्यम है । भारत को जब तक वैदिक धरातल पर नहीं खड़ा किया जाएगा, तब तक भारत ही नहीं, अपितु विश्व में सुख, समृद्धि और शान्ति की कल्पना नहीं की जा सकती । पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि देश में समान शिक्षा नीति, सबके लिए समान कानून तत्काल लागू किया जाना चाहिए । धर्मान्तरण के विषय में कहा कि धर्मान्तरण वास्तविक रूप में राष्ट्रान्तरण है । धर्मान्तरण को राष्ट्रद्रोह की श्रेणी का अपराध घोषित कर धर्मान्तरण कराने वाले को आजीवन कारावास या मृत्युदण्ड की सजा का कानून देश में अविलम्ब लागू होना चाहिए । इस अवसर पर धर्म मंच पर ललिताम्बा पीठाधीश्वर स्वामी जयराम दास जी महाराज, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य “विद्याभाष्कर” जी महाराज, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजारामाचार्य जी महाराज, स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज सहित अन्य सन्त महापुरुष उपस्थित थे ।
–स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती

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