नववर्ष पर नगर निगम अंतर्गत बीसबीघा में नगरवासियों की ओर से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं ने त्रिवेणीघाट से कथास्थल तक कलश यात्रा निकाली। कथावाचक आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि श्रीमद कथा परम पावन और मोक्षदायिनी है। कथा आयोजन और श्रवण करने मात्र से पितरों को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। दूसरी ओर इस कलिकाल में कथा श्रवण से पापों से मुक्ति मिलती है। सोमवार को आयोजित श्रीमद भागवत कथा में कथावाचक ने कहा कि सच्चे मन और श्रद्धा भाव से कथा सुनने के कारण ही कथा श्रोताओं को श्रद्धालुओं की संज्ञा दी गई है। भगवत नाम श्रवण और सुमिरन करने से जीव जन्म जन्मान्तरों के बंधनों से छुटकारा पा लेता है। वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप ने कहा कि युवा पीढ़ी को शिक्षा के साथ साथ अपने संस्कारों के संवर्धन के लिए धार्मिक अनुष्ठान में अवश्य उपस्थिति देनी चाहिए। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रान्त संयोजक विनोद जुगलान ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि की नारी संस्कृति के संरक्षण में अग्रणीय भूमिका निभा रही हैं, जो हमारे राज्य के लिए गर्व की बात है। रविवार सात जनवरी को कथा विराम और यज्ञ की पूर्ण आहुति होगी। कथा में नियमित उपस्थित रहकर सहयोग करने वाली मातृ शक्ति को व्यास पीठ पर सम्मानित किया जाएगा।