भगवताचार्य दिव्य नारायणाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा भक्ति एवं भगवान के प्रेम की कथा है। सात दिवसीय इस कथा में यही वर्णन है कि भगवान अपने भक्तों के लिए अवतार लेते हैं और अपने भक्तों के दुखों को दूर करते हैं। कलियुग में श्रीमद्भागवत ऐसा पुराण है जिसकी कथा सुनने से मानव अपने दुखों को भूलकर भगवान की भक्ति में लीन हो जाता है। दुखों को दूर करने की एक नई ऊर्जा मिलती है। वह बृहस्पतिवार को अस्सी स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में भागवत कथा का पारायण करा रहे थे। दिव्य नारायणाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा हमें दुखों से मुक्ति दिलाती है और सभी सुखों की प्राप्ति भी कराती है। इस दोरान भजनों की प्रस्तुति से पूरा कथा पंडाल भक्तिमय हो गया। कथा के अंत में यजमान अरविंद त्रिपाठी ने भागवत पोथी की आरती कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया।

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