परमार्थ निकेतन गंगा तट पर आयोजित अष्टोत्तरशत् श्रीमद्भागवत कथा में मंगलवार को पूर्णाहुति दी गई। इसमें श्रद्धालुओं और आयोजकों को पेड़े के साथ पेड़ बांटने का संदेश देते हुए हरित कथाओं के लिए प्रेरित किया गया। कथाव्यास देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि हमारे शास्त्र अनमोल रत्न हैं, जो हमें मार्गदर्शन, प्रेरणा और सद्मार्ग प्रदान करते हैं। ग्रंथों के माध्यम से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं और परिस्थितियों को जानने, समझने व सुलझाने का मार्गदर्शन मिलता है। श्रीमद्भागवत कथा हमारे जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन करती हैं। प्रभु के प्रति प्रेम और समर्पण से अनंत शांति व मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही इसमें परिवारों में नैतिक मूल्यों व संस्कारों के रोपण की सुंदर व्याख्या की गई है।
कथाओं से झोला आंदोलन चलाना होगा
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मां गंगा के पावन तट पर कथा सुनना सौभाग्य की बात है। हमें याद रखना होगा कि जब तक हमारी नदियां हैं, तभी तक कथाएं, तीर्थ और कलश यात्राएं हैं। कथाओं के मंच से प्लास्टिक छोड़ झोला आंदोलन चलाना होगा। हमें कथाओं की पूर्णाहुति के भंडारों में पेड़े के साथ पेड़ भी बांटने होंगे। इस दौरान चिदानंद ने कथाव्यास को रुद्राक्ष का पौधा भेंटकर हरित कथाओं के लिए प्रेरित किया।