वाराणसी में वैसे तो सात वार और नौ त्योहार बताने का चलन है लेकिन तुलसी घाट पर होने वाली नाग नथैया लीला का आकर्षण खास रहा। लक्खा मेला में शुमार इस लीला को लेकर कहा जाता है कि कुछ देर के लिए यह स्थान वृंदावन बन जाता है और गंगा भी कुछ देर के लिए यमुना सी प्रतीत होती है। कृष्ण रूपी बाल कलाकार पहले अपने सखाओं के साथ गेंद खेलते हैं और फिर कदंब के वृक्ष पर चढ़कर पानी में छलांग लगा देते हैं। कुछ देर के लिए लोगों की सांस थम जाती है लेकिन जैसे नदी के बाहर एक काया नाग फन पर दिखाई देती है सभी उत्साहित हो उठते हैं और आरती कर इस लीला का समापन होता है। इसे देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हुई। तुलसी घाट पर नाग नथैया लीला का अद्भुत आयोजन हुआ। इस लीला में कृष्ण रूपी कलाकार ने पहले क्रीड़ा किया उसके बाद यमुना रूपी गंगा में छलांग लगा दी बाहर आकर सबको दर्शन दिए और सभी ने हर हर महादेव का उद्घोष किया और लीला का समापन हुआ। आपको बता दें कि इस लीला को गोस्वामी तुलसीदास ने शुरू कराया था। कहा जाता है कि वृंदावन के कालीदह घाट पर कान्हा ने लीला की और यमुना से कालिया को उद्भाषित कर दिया। उसी तरह इस लीला का संदेश भी कालियानाग रूपी नालों को उद्भाषित कर गंगा को स्वच्छ करने का होता है। मान्यता है कि इस लीला को देखने के लिए लाखों की भीड़ होती है। इस लीला के महात्म्य सम्राट अकबर ने 1553 में इस लीला को देखने की इक्षा जताई और नौका से आकर इस लीला को देखा था। काशी नरेश का परिवार आज भी बजड़े पर सवार होकर इस लीला को देखता है हर साल यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है इस बार भी भीड़ इकट्ठा हुई और जयकारा लगाया।