शरण पूर्णिमा के दूसरे दिन भी काशी नगरी में गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य का दौर चला। घाटों पर सुरक्षा के लिए जल और स्थानीय पुलिस तैनात रही।

शरद पूर्णिमा के दूसरे दिन स्नान और दान के विधान निभाए गए। गंगा तट पर श्रद्धालुओं ने पूर्णिमा की डुबकी लगाई। जरूरतमंदों में दान करने के बाद भगवान का पूजन किया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार रही। शाम को दीपदान करने के साथ कार्तिक मास का अनुष्ठान भी आरंभ हो गया। गुरुवार को शरद पूर्णिमा के अनुष्ठान गंगा के तट, कुंड और तालाबों पर पूरे किए गए। सूर्योदय के साथ ही अस्सी से राजघाट के बीच प्रमुख घाटों पर स्नान और दान का सिलसिला शुरू हो गया। गंगा में स्नान के बाद श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए कतारबद्ध हो गए। वहीं, दूसरी तरफ शहर के विष्णु मंदिरों में भी दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार लगी। काशीवासियों ने पंचगंगा के जल से बिंदुमाधव को स्नान कराया। स्कंदपुराण काशी खंड में भगवान नारायण और नारद पुराण में नारद जी कहते हैं कि पंचामृत के 108 आठ कलशों के साथ तुलना करने पर काशीस्थ पंचगंगा का एक बूंद जल भी उनसे श्रेष्ठ सिद्ध होता है। पंचगंगा का मात्र एक बूंद जल देवता पर चढ़ा देने से 108 घड़ों में भरे पंचामृत से देवता को स्नान कराने से भी कहीं अधिक फल की प्राप्ति होती है।