भादौ माह की शनिश्चरी अमावस्या पर उज्जैन के त्रिवेणी घाट पर नवग्रह शनि मंदिर में रात्रि 12 बजे से फव्वारा स्नान शुरू हुआ। श्रद्धालु शुक्रवार रात में ही घाटों पर पहुंच गए थे। पनौती के रूप में यहां पर कपड़े, जूते, चप्पल छोड़ने की मान्यता है। बताया जाता है कि यहां जूते, चप्पल, कपड़े छोड़कर जाने से शनि की साढ़ेसाती से राहत मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या पर शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर स्नान करने का बहुत महत्व है। त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं ने देर रात से स्नान शुरू कर दिया था, जो शनिवार दोपहर तक चलेगा। श्रद्धालु स्नान के बाद शनिदेव एवं नवग्रह का पूजन करने पहुंचे। अनुमान है कि इस बार करीब तीन से साढ़े तीन लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने शनि मंदिर त्रिवेणी घाट सहित शिप्रा तट पर स्नान एवं सुरक्षा के खास इंतजाम किए हैं।

यह है मान्यता?
अति प्राचीन सम्राट विक्रमादित्य के काल से स्थापित शनि नवगृह मंदिर के पुजारी राकेश बैरागी के अनुसार यूं तो साल भर में 12 अमावस्या होती हैं, लेकिन सिर्फ शनिवार को वर्ष 2025 में तीन अमावस्या पड़ीं, जिसे शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। 29 मार्च को चैत्र मास की भूतड़ी अमावस्या थी। दूसरी 27 मई को ज्येष्ठ अमावस्या रही और तीसरी 23 अगस्त को भाद्र पद मास की अमावस्या मनाई जा रही है। जो भी भक्त साल में आने वाली अमावस्या पर भगवान शनि के दर्शन लाभ लेता है उस पर शनि देव की साढ़े साती व ढैय्या का प्रभाव कम हो जाता है। श्रद्धालु भगवान को लोहा, तिल, नमक, काला कपड़ा तेल दान करते हैं। घाट पर स्नान के बाद पहने हुए कपड़े और जूते चप्पल को पनौती रूप में, रोग रूप में घाट पर ही या मंदिर के बाहर ही छोड़ जाते हैं। देर रात 12 बजे से भक्तों का तांता लगना शुरू हुआ है। शनि नवगृह मंदिर में रात 12 बजे तक 24 घण्टे के क्रम अनुसार भक्तों का आना जाना जारी रहेगा। 

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