धर्म सेंसर बोर्ड हिंदू देवी-देवताओं के अपमान वाली फिल्मों का निर्माण नहीं होने देगा। ऐसी फिल्मों के अलावा डाक्यूमेंट्री, वेब सीरीज व मनोरंजन के अन्य दृश्य माध्यमों पर इस बोर्ड के जरिये अंकुश लगाया जाएगा।

Prayagraj News :  शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती।
Prayagraj News : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती। –

धर्म सेंसर बोर्ड हिंदू देवी-देवताओं के अपमान वाली फिल्मों का निर्माण नहीं होने देगा। ऐसी फिल्मों के अलावा डाक्यूमेंट्री, वेब सीरीज व मनोरंजन के अन्य दृश्य माध्यमों पर इस बोर्ड के जरिये अंकुश लगाया जाएगा। ताकि, फिल्मों के नाम पर सनानत संस्कृति पर हमले को रोका जा सके। यह बातें मंगलवार को पहली बार माघ मेला शिविर में पहुंचे ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहीं।

हाल ही में सैफ अली खान की फिल्म आदिपुरुष का ट्रेलर रिलीज होने के बाद धर्म जगत में आस्था पर हमले को लेकर तूफान खड़ा हो गया था। इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्म सेंसर बोर्ड का गठन किया है। इस बोर्ड में धर्म-संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गजों को शामिल किया गया है। फिलहाल इस बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी शंकराचार्य स्वयं संभाल रहे हैं।

माघ मेले में त्रिवेणी मार्ग पर स्थापित ज्योतिष्पीठ के शिविर में पहुंचने के बाद देर शाम उन्होंने अमर उजाला से धर्म सेंसर बोर्ड की रूपरेखा साझा की। बताया कि यह बोर्ड हिंदू देवी-देवताओं के अपमान या संस्कृति पर कुठाराघाट करने वाले किसी भी तरह के फिल्मांकन या वीडियो, ऑडियो के प्रसारण को रोकने के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा।

ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने बताया कि 19 जनवरी को वह धर्म सेंसर बोर्ड की गाइड लाइन जारी करेंगे। पहली बार इस बोर्ड के जरिए हिंदू देवी-देवताओं के अपमान वाली फिल्मों का निर्माण न होने पाए, इसकी व्यवस्था दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सस्ती लोकप्रियता के लिए सनातन संस्कृति को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने वाली फिल्मों का निर्माण बर्दाश्त नहीं है।

निर्मल गंगा की धारा के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं

ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने कहा कि गंगा निर्मलीकरण के लिए केंद्र-प्रदेश की सरकारों को ठोस उपाय करने चाहिए। हजारों करोड़ रुपये की योजनाएं बना देने भर से ही गंगा निर्मल नहीं हो जाएंगी। इसके लिए जमीनी हकीकत से भी सरकार को परिचित होना चाहिए।

गंगा को टिहरी के बाद ही मूल प्रवाह से वंचित कर दिया जा रहा है। ऐसे में विकास के साथ बांध परियोजनाओं के विकल्पों पर बात होनी चाहिए। कहा कि इस बार मेले से वह माघ पर्व संदेश देशवासियों को देने का प्रयास करेंगे। इसके लिए सभी साधु-संतों से बातचीत की जाएगी।

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