मोरारी बापू ने काशी के संतों और विद्वत समाज से माफी मांगी है। वजह है कि मोरारी बापू द्वारा सूतक में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने का यहां के संतों ने विरोध किया है।

सूतक में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने का विरोध होने के बाद मोरारी बापू ने काशी के संतों और विद्वत समाज से माफी मांगी है। रविवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में व्यासपीठ से मोरारी बापू ने सभी से क्षमा मांगी। उन्होंने कहा कि हम यहां आए। शिवजी के दर्शन करने गए। जल चढ़ाया और कथा गाने लगे। यह बात कई पूज्य चरणों और कई महापुरुषों को ठीक नहीं लगी। किसी को ठेस लगी हो तो मैं आप सबके प्रति क्षमा प्रार्थी हूं।
उन्होंने कहा कि मैं क्षमा मांग लेता हूं। आप चिंता न करें। हम संवाद करते रहेंगे, गाते रहेंगे। इसके लिए मैं मानस क्षमा कथा भी कहूंगा। पत्नी के निधन के बाद सूतक काल में ही रामकथा का वाचन करने वाराणसी पहुंचे कथावाचक मोरारी बापू संत समाज के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने रविवार को सभी से माफी मांगते हुए कहा कि आप सब बड़े हो, हम छोटे हैं। क्षमा बड़न को चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक मंगल विधान के दौरान सब हो रहा है। फिर भी अगर किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा मांग रहा हूं। उन्होंने कहा कि हमारे बाबा कहते हैं कि अग्नि में ज्यादा लकड़ी डालने से आग ज्यादा भड़कती है। मैं भी खुलासा कर सकता हूं। मेरे पास भी शास्त्र हैं। लेकिन, ऐसी छोटी-छोटी बातों से हम बिलग नहीं हो सके। भारतीय संस्कृति के उपासक को कोई विलग नहीं कर सकता। आप सबके प्रति मेरे हृदय की यही भावना है।