परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक देवी चित्रलेखा अपने परिवार के साथ पहुंची। उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती के साथ मिलकर सांध्यकालीन गंगा आरती में प्रतिभाग किया। स्वामी और साध्वी ने देवी चित्रलेखा और उनके परिवार के सदस्यों को रुद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनंदन किया।स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज मानव अधिकार दिवस पर मानवता को यह स्मरण कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि मानव गरिमा, स्वतंत्रता और समानता कोई आधुनिक अवधारणा नहीं, बल्कि सनातन भारत की शाश्वत धरोहर हैं। पश्चिम में मानवाधिकारों का विचार युद्धों और संघर्षों के बाद दस्तावेजों में लिखा गया, पर भारत ने इन आदर्शों को हजारों वर्षों से अपने जीवन, संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा में आत्मसात किया है। देवी चित्रलेखा ने कहा कि मां गंगा केवल एक नदी नहीं हैं, वे स्वयं दिव्यता की सजीव अनुभूति हैं।