शरद पूर्णिमा के पर्व पर श्रीबांकेबिहारी मंदिर एक बार फिर दिव्य और अद्भुत दृश्य का साक्षी बने। इस दिन ठाकुरजी स्वयं बांसुरी की मधुर तान छेड़ेंगे और चंद्रमा की शीतल किरणें उनके चरणों की वंदना करेंगी। वर्ष भर में इसी दिन एक बार मोरमुकुट पहनकर ठाकुरजी बांसुरी धारण करते हैं।

Sharad Purnima: Thakur Ji Stayed in Garbhgriha During Shringar Aarti

वृंदावन में शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी के दर्शन के लिए श्रीबांकेबिहारी मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती है, लेकिन मंदिर में कमेटी और सेवायतों के बीच चल रही तनातनी शरद पूर्णिमा पर साफ दिखने को मिल गई। सुबह शृंगार आरती में दर्शन करने पहुंचे तो श्रद्धालुओं को पट बंद मिले। राजभोग सेवा में ही श्रद्धालु दर्शन कर पाए। राजभोग सेवा में दर्शन के ठाकुरजी का सिंहासन जगमोहन में लगाया गया था, इसलिए शृंगार आरती के सेवा के सेवायतों ने दर्शन को पट ही नहीं खोले। पट बंद करके ही अंदर आरती की गई। इससे श्रद्धालुओं में आक्रोश है।

दरअसल शरद पूर्णिमा के दिन मंदिर में दर्शन कराने में जो हुआ, वह इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया। शृंगार आरती और राजभोग सेवा के सेवायतों के एकमत न होने के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं ने काफी परेशानी उठाई। श्रद्धालुओं सामना करना पड़ा, वह इंतजार में खडे़ रहे और उनका शृंगार आरती के दर्शन ही नहीं हो पाए। मंदिर के पट ही नहीं खोले गए। राजभोग सेवा में जब ठाकुर जी जगमोहन में आए तब श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

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