ऋषिकेश। विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में एक दिवसीय संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि विश्व शरणार्थी दिवस एक ऐसा दिन है जो उन लाखों लोगों को समर्पित है जो युद्ध, अत्याचार, जलवायु परिवर्तन या मानवाधिकार उल्लंघनों के कारण अपने देश, घर और जमीन छोड़ने को मजबूर होते हैं। यह दिवस न केवल उनकी पीड़ा को समझने और स्वीकारने का अवसर है, बल्कि उनके साहस, जिजीविषा और संघर्ष की भावना को सम्मान देने का दिन भी है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि अतिथि देवो भवः यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा, संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है। आज के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना होगा कि हम धर्म, जाति, राष्ट्रीयता या भाषा के भेदभाव के बिना हर जरूरतमंद को इंसान के रूप में देखें। शरणार्थियों को समर्थन देना केवल नीति का नहीं, बल्कि नैतिकता और मानवीयता का प्रश्न है।