रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने का भले ही दावा करता हो, लेकिन हरिद्वार स्टेशन ठीक इससे उलट है। स्टेशन पर यात्रियों के आने जाने के लिए पांच प्रवेश व निकासी द्वार हैं। लेकिन तीन द्वार बंद पड़े हैं। इनमें दो द्वार कुंभ में बने थे। बंद द्वार के बाहर कहीं अवैध ऑटो स्टैंड चल रहा है तो कहीं ढाबा खुला है। दो गेटों से ही यात्रियों और वाहनों की स्टेशन में आवाजाही होने से मुख्य सड़क पर जाम लगता है।

रेलवे स्टेशन के दो गेट से ही यात्रियों की आवाजाही होती है। इन्हीं गेट से स्टेशन परिसर में वाहन आते जाते हैं। तीन गेट बनने के बाद से ही आज तक खुले नहीं हैं। इनमें एक गेट कोरोनाकाल में बंद किया गया। जबकि दो गेट कुंभ में बने थे। कांवड़ मेला शुरू होने के बाद स्टेशन पर यात्रियों का और अधिक दबाव बढ़ने लगा है। दो ही गेट खुले होने से यात्रियों को अंदर और बाहर जाने में परेशानी उठानी पड़ती है। क्योंकि गेट पर यात्रियों की ऑटो-विक्रमों में बैठाने की होड़ में बेतरतीब तरीके से वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। गेट नंबर तीन और चार के बाहर स्टैंड

आज तक शुरू नहीं हुई लगेज स्क्रेनर मशीन
स्टेशन परिसर में अंदर प्लेटफार्म से सर्कुलेटिंग एरिया की तरफ बाहर आने वाले गेट पर लगी लाखों रुपये की लगेज स्कैनर मशीन बंद पड़ी नजर आई। मशीन के ऊपर प्लास्टिक की पन्नी डालकर ढका हुआ था। कोरोनाकाल के लॉकडाउन के दौरान ट्रेनों का संचालन बंद होने से मशीन को ढककर रख दिया। आज स्थिति सामान्य हो गई और मशीन नहीं खुली है।
रेलवे स्टेशन पर पहले से ही दो गेट यात्रियों के आने और जाने के लिए खुले हैं। नए गेट कुंभ मेला और स्नान पर्वों के लिए बनाए गए थे। जिन्हें जरूरत पड़ने पर खोला जाता है। कांवड़ मेले में गेटों को खोलने की जरूरत नहीं पड़ रही है। ढाबा और ऑटो स्टैंड रेलवे की संपत्ति पर नहीं बने हुए हैं। इसलिए उन पर जिला प्रशासन ही कार्रवाई कर सकता है।
– सुधीर सिंह, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक कोचिंग, उत्तर रेलवे मुरादाबाद मंडल

By Tarun

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